Friday, November 18, 2011

भारतीय समाज और मीडिया का दोगलापन



यह भारतीय समाज और मीडिया का दोगलापन नहीं तो और क्या है ? जहां एक बेहूदे किस्म के घटिया रियलिटी शो में भाग लेने आई भारतीय मूल की कैनेडियन वेश्या 'सनी लिओन' को ’पॉर्न स्टार’ कहकर संबोधित किया जा रहा है। हर अखबार, चैनल और न्यूज पोर्टल्स पर यह खबर प्रमुखता से परोसी जा रही है। और तो और मुंबई एयरपोर्ट पर तकरीबन 100 फोटो पत्रकारों का हुजूम इस वेश्या की एक झलक के लिए मौजूद था। बहुत जल्द इस वेश्या के दैनिक क्रियाकलापों को एक रियलिटी शो के माध्यम से टेलीविजन द्वारा पूरे देश के घरों में पहुंचाया जाएगा। आखिरए इस तरह से हम अपने देश के लगभग 70% युवाओं को क्या संदेश देना चाहते हैं ?

लानत है ऐसे मीडिया को जिसके पास नीच लोगों का स्टार बनाकर पेश करने का समय है लेकिन बिहार, बंगाल और पूर्वोत्तर के राज्यों से लाकर दिल्ली, मुंबई जैसे मेट्रो सिटीज में जबरन वेश्यावृत्ति करने को मजबूर की जाने वाली मासूम बच्चियों की दर्दनाक कहानी बताने की फुर्सत और हिम्मत नहीं है। और लानत है ऐसे समाज पर जो ऐसे बेहूदा लोगों को सर आंखों पर बिठाकर, एक वेश्या को पॉर्न स्टार कहता है और लैंगिक रूप से विकलांग किन्नरों को हेय दृष्टि से देखता है। जो ऐसे वाहियात लोगों के लिए लाखों-करोड़ों रुपए के एसएमएस तो भेजता है, लेकिन जिसके पास विदर्भ में मर रहे किसानों और कोसी की बाढ़ के पीड़ितों के लिए कुछ नहीं है।

एक फूटी कौड़ी तक नहीं।

फोटो क्रेडिट: हंगामा.कॉम, साभार

Tuesday, February 15, 2011

एक और झूठ ...



2 जी स्पेक्ट्रम घोटाले की जांच कर रही संसद की लोक लेखा समिति [पीएसी] के सामने सीबीआइ के निदेशक .पी. सिंह ने दो टूक कहा कि इस मामले में राजस्व का भारी नुकसान हुआ है। पीएसी के सामने उन्होंने यह बात स्वीकार की है कि इस पूरे प्रकरण में लगभग 50 हजार करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान हुआ है। उनकी इस स्वीलारोक्ति के बाद दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल के उस बयान की भी पोल खुल गयी है जिसमे उन्होंने कहा था कि इस मामले में राजस्व का कोई नुकसान नहीं हुआ है। सीबीआइ निदेशक के इस बयान से यू. पी. . सरकार के मंसूबे स्पष्ट हो गए हैं कि वो अभी भी इस मामले में देश की जनता को अँधेरे में रखना चाहती है |

Sunday, August 1, 2010

प्यारे भारतीयों... खुद को भी पहचानों...


हर कोई आज फ्रेंडशिप डे मना रहा है लेकिन कम लोगो की ही याद होगा की आज महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, निर्भीक पत्रकार एवं समाज सुधारक, 'लोकमान्य' श्री बाल गंगाधर जी की पुण्यतिथि है

"स्वराज्य हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है " जैसे कथन से क्रांतिकारियों में एक नयी जान फूंकने वाले महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी को आज देश ने उस फ्रेंडशिप डे के फेर में भुला दिया है जो इस कॉरपोरेट वर्ल्ड का एक नया प्रोडक्ट है हिन्दुस्तान जैसे देश जहाँ राम और सुग्रीव , कृष्ण और सुदामा जैसे मित्रता के तमाम उदाहरण मौजूद हैं ऐसे में एक पाश्चात्य देश द्वारा घोषित एक तिथि को मित्रता दिवस के रूप में मनाना कहाँ तक प्रासंगिक है ?



Friday, November 6, 2009

श्रद्धांजलि...

हिंदी पत्रकारिता के आकाश में 'सूर्य' सदृश दैदीप्यमान 'श्रीयुत प्रभाष जोशी' आज अस्ताचल की ओर गमन कर चुके हैं !
हिंदी पत्रकारिता के शशक्त हस्ताक्षर श्री जोशी जी का निधन निश्चित रूप से पत्रकारिता जगत की अतुलनीय क्षति है ! पत्रकारिता का छात्र होने के नाते प्रभाष जोशी जी सदैव मेरे आदर्श थे और रहेंगे ! भले ही वे अब हमारे बीच नहीं है लेकिन उनकी लेखी सदैव हमें प्रेरणा और मार्गदर्शन देती रहेगी !
श्री जोशी जी को कोटिशः नमन करते हुए कुछ इस प्रकार श्रद्धासुमन अर्पित करना चाहूँगा कि...




''आपके बाद अँधेरा रहेगा महफिलों में,

कई चराग जलाएंगे रौशनी के लिए !!''

Friday, October 23, 2009

खबरवालों की खबर

पिछले दिनों मुंबई हमलों के दौरान खबरिया चैनलों की शर्मनाक भूमिका को अभी तक लोग ठीक से भूल भी नहीं पाए थे कि भारत-चीन संबंधों पर इनका नकारात्मक रुख एक बार फिर चर्चा में है
हाल ही में सामने आई चीन के हेलीकॉप्टर के भारत की सीमा में घुस आने कि घटना हो या फिर अरुणाचल प्रदेश में चीनी सेना की घुसपैठ की घटना हो, दोनों घटनाओं को इस तरीके से घुमा-फिराकर पेश किया जा रहा है कि लगता है जैसे हम युद्ध के मुहाने पर ही खड़े हैं साधारण रक्षा सौदों, युद्धाभ्यासों तथा अन्य सैन्य गतिविधियों को भी युद्ध से जोड़कर दिखाया जा रहा है
ऐसे समय में कि, जब हम अपने पड़ोसी देशों के साथ सामरिक सम्बन्ध स्थापित करने कि जुगत में लगे हुए हैं, क्या इस तरह की खबरें हमारे वैश्विक संबंधों को प्रभावित नहीं करतीं ? इस तरह कि मनगढ़ंत अफवाहों का हमारे वैश्विक संबंधों पर कितना गहरा असर पड़ सकता है, इसका अंदाजा शायद हमारे खबरिया चैनलों को नहीं है और वैश्विक संबंधों को चलो पल भर के लिए छोड़ भी दें तो देश के भीतर ऐसे हालात पैदा हो रहे हैं, जो चिंताजनक हैं उदहारण के लिए, सैन्य आंकड़ों की तुलना करके जिस तरह से बताया जा रहा है कि चीन भारत से तीन गुना ज्यादा ताकतवर है, उससे देश की जनता भयाक्रांत है कहीं न कहीं उसके मन में असुरक्षा की भावना घर कर रही है 'हमारी सरकार तथा सेना चीन से निपटने में सक्षम नहीं है', जैसे वक्तव्यों से जनता की देश, सरकार तथा सेना के प्रति निष्ठा टूट रही है किसी भी लोकतांत्रिक देश के किये यह निश्चित रूप से चिंता का विषय है और तो और क्या इस तरह के तुलनात्मक आंकड़ों से सेना का मनोबल नहीं गिरता ?
स्थिति की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि स्वयं प्रधानमन्त्री को यह बयान देना पड़ा कि मीडिया भारत-चीन मुद्दे पर संतुलित भूमिका निभाये तथा तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत न करे इसके बावजूद इन तमाम खबरिया चैनलों के कानों पर जूं रेंगती नहीं दिखाई देती टी.आर.पी. की होड़ में इन्होनें राष्ट्रीय हितों को भी ताक पर रख दिया है नौबत यहाँ तक आ गयी कि दो पत्रकारों के खिलाफ एफ. आई.आर. तक दर्ज करनी पड़ी
हास्यास्पद बात यह है कि इस तरह के कारनामों से इन खबरिया चैनलों को ही सबसे ज्यादा बट्टा लगता है कुछ समय के लिए भले ही उनकी टी.आर.पी. चोटी पर पहुँच जाती है लेकिन बाद में जनता के बीच उनकी विश्वसनीयता न के बराबर रह जाती है इसका परिणाम यह होता है की इस तरह के चैनलों को देखते ही लोग चैनल चेंज कर देते हैं और इस 'चैनल चेंज' के बाद क्या स्थिति होती है उसे ये खबरिया चैनल अच्छी तरह से समझते हैं , लेकिन फिर भी पता नहीं क्यों ये सब इस तरह की हरकतों से बाज नहीं आते
सहोदर बंधुओं, हमें यह जानना होगा कि आज जनसंचार के आयाम बदल चुके हैं सूचना प्रौद्योगिकी के इस युग में हमारी बात सिर्फ हम तक नहीं रहती अपितु पूरे विश्व तक जाती है ऐसे में इस तरह के संवेदनशील मुद्दे पर कोई बात कहने से पहले हमें अच्छी तरह से विश्लेषण कर लेना चाहिए कि इसका प्रभाव क्या होगा ? हमारे वैश्विक संबंधों पर इसका क्या असर होगा ? आम जनता इससे किस तरह से प्रभावित होगी ? इसके दूरगामी परिणाम क्या होंगे ? आदि आदि, अन्यथा वह दिन दूर नहीं जब मीडिया की इस तथाकथित 'अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता' को पुनः 'सेंसरशिप' की बेड़ियों में जकड़ा जाएगा

Friday, May 22, 2009

आज के बच्चे ...!



आज के बच्चे ,

होते
नहीं अच्छे ...!

क्यूँ ?

पारिवारिक परिवेश ...?

समाज या देश ...?

पहनावा या वेश ...?

घर या परदेश ,

हर जगह ,

हर छड़ ,

क्या इन सब का असर ,

बच्चों पर पड़ने से,
रह चुका है शेष ...?

बदले हुए वेशों को देखकर ,

क्या वे बदले नहीं वेश ...?

इन सब तमाम ,

अस्तित्वों के ,

परिणाम ,

प्रत्यक्ष हैं ...

आज के बच्चे ...!

- जयकरन सिंह भदौरिया

Tuesday, May 5, 2009

'बहन जी' के 'भाई'


"चढ़ गुंडों की छाती पर, मोहर लगाओ हाथी पर "
जी हाँ ये वक्तव्य थे किसी दौर में उत्तर प्रदेश में अपराधियों के ख़िलाफ़ जमकर अभियान चलाने वाली बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री सुश्री मायावती उर्फ़ 'बहन जी' के लेकिन बदली हुई फिजा के कारण ये अब बीते दिनों की बातें हो चुकी हैं 'विजन दिल्ली' को देखते हुए मायावती ने अपने सिद्धांतों से समझौता करलिया है और बड़ी उदारता से बाहुबलियों, अपराधियों, एवं माफिआओं को टिकट देने में लगी हुई हैं
किसी समय अंसारी बंधुओं ( मुख्तार अंसारी एवं अफजाल अंसारी ) को अपराधी करार देकर जेल भिजवाने वाली बहन जी ने अब लोक सभा चुनाव में उन्हें क्रमशः वाराणसी और गाजीपुर से अपना उम्मीदवार बनाया है गौरतलब है की मुख्तार अंसारी पर कृष्णानंद राय हत्याकांड सहित, लूट, फिरौती, एवं बलवा आदि जघन्य अपराधों के कई मुक़दमे लंबित हैं और तो और बहन जी मुख्तार के समर्थन में यह कहते हुए भी नही अघा रहीं हैं कि "मुख्तार गरीबों के मसीहा हैं"
माफिआओं कि इस फेहरिस्त में अगला बहुचर्चित नाम है उन्नाव लोकसभा छेत्र से पार्टी के प्रत्याशी, कुख्यात अपराधी अरुण कुमार शुक्ला उर्फ़ 'अन्ना महाराज' का अरुण कुमार शुक्ला, पहले मुलायम सिंह के खासमखास हुआ करते थे लेकिन मुलायम सिंह द्वारा अपनी सांसद बनने कि इच्छा पूरी न होती देख इन्होने 'बहन जी ' का दामन थाम लिया हास्यास्पद बात तो यह है कि अन्ना के ऊपर लखनऊ के एक गेस्ट हाउस में बहन जी के ऊपर ही जानलेवा हमला कराने का आरोप है
हाल में ही बहन जी का दामन थामने वाले जौनपुर लोकसभा छेत्र के बसपा प्रत्याशी, हिस्ट्रीशीटर धनञ्जय सिंह का नाम भी इस सूची में प्रमुखता से शुमार होता है धनञ्जय सिंह पर लखनऊ एवं जौनपुर के विभिन्न थानों में तीन हत्याओं एवं गैंगस्टर एक्ट सहित दो दर्जन से अधिक मामले लंबित हैं धनञ्जय सिंह पर लोक निर्माण विभाग के इंजिनियर 'गोपाल सरन श्रीवास्तव' कि दिनदहाडे हत्या करने के आरोप पर ५०,००० रुपये का इनाम भी घोषित था
बहन जी ने उत्तर प्रदेश की ८० लोकसभा सीटों में से लगभग तीन दर्जन सीटों पर आपराधिक छवि वाले उम्मीदवारों को उतारा है जिनमे बदायूं से डी पी यादव, श्रावस्ती से रिजवान जहीर, गोरखपुर से विनयशंकर तिवारी, संत कबीरनगर से भीष्मशंकर तिवारी तथा बागपत से मुकेश शर्मा आदि चर्चित चेहरे हैं उम्मीदवारों ने जहाँ बहन जी से अपनी-अपनी सीट निकालने का वादा किया है, वहीं बहन जी उनके आपराधिक मामलों पर कोई दंडात्मक कार्यवाई न करने का विश्वास दिलाया है
'बहन जी' और 'भाइयों' के बीच हुई इस डील में बहन जी का सिद्धांत वाक्य कुछ इस तरह ही है कि -

"या तो हमसे यारी कर,
या जेल जाने कि तैयारी कर "

 
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