Friday, August 29, 2008

"भावनाएं"

तुम्हारी बेरुखी ने लाज रख ली मयखाने की !
तुम आँखों से पिला देते तो मयखाने कहाँ जाते !!

3 comments:

brillient...i mean... fantestic

simply great.................

जब शागिर्दे-रेख़्ता ही हैं आप, तो फिर बेरुखी को "बेरुख़ी” लिखिए और मयखाने को "मयख़ाने”। याने दोनों ख के नीचे नुक्ता (बिन्दी) लगाइए। लिखिए और ख़ूब लिखिए। इंतज़ार में।
और ये वर्ड वेरिफ़िकेशन हटा लें ताकि लोगों को टिप्पणियाँ करने में आसानी रहे।
शुक्रिया।

 
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