हर कोई आज फ्रेंडशिप डे मना रहा है लेकिन कम लोगो की ही याद होगा की आज महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, निर्भीक पत्रकार एवं समाज सुधारक, 'लोकमान्य' श्री बाल गंगाधर जी की पुण्यतिथि है
"स्वराज्य हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है " जैसे कथन से क्रांतिकारियों में एक नयी जान फूंकने वाले महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी को आज देश ने उस फ्रेंडशिप डे के फेर में भुला दिया है जो इस कॉरपोरेट वर्ल्ड का एक नया प्रोडक्ट है हिन्दुस्तान जैसे देश जहाँ राम और सुग्रीव , कृष्ण और सुदामा जैसे मित्रता के तमाम उदाहरण मौजूद हैं ऐसे में एक पाश्चात्य देश द्वारा घोषित एक तिथि को मित्रता दिवस के रूप में मनाना कहाँ तक प्रासंगिक है ?
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2 comments:
मै आप से शत प्रतिशत सहमत हूँ शायद ही किसी चिट्ठाकार ने उनके बारे में कुछ लिखा होगा शर्मिंदा हूँ मै याद दिलाने के लिए धन्यवाद
बस यही कहना चाहूँगा- 'कटु सत्य'
शर्मिंदा हूँ...
याद दिलाने के लिए धन्यवाद्
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